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Holi Festival kyo manaya jata hai ? – क्या है होली का त्योहार और इसे क्यों मनाया जाता है?

क्या है होली का त्योहार और इसे क्यों मनाया जाता है? – What is Holi Festival and why is it celebrated ?

Holi Festival kyo manaya jata hai ?

क्या है होली का त्यौहार ? – होली मुख्य रूप से भारत के हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक ऐसा त्यौहार है जिसे प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार वसंत ऋतु के स्वागत के तौर पर मनाया जाता है जिसे एक नई शुरुआत के तौर पर भी देखा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष के अंतिम माह फाल्गुन की पूर्णिमा को होली का यह त्यौहार मनाया जाता है। यह भी माना जाता है की होली भारत की सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है, क्योंकि लोग रंगीन पाउडर और पानी से मजे के साथ एक दूसरे पर रंग लगाकर इस त्यौहार का आनंद उठाते हैं। होली के त्यौहार में लोग अपने पुराने दुश्मनी एवं मनमुटाव को भुलाकर एक दूसरे के साथ दोस्ती एवं प्रेम से मिलते हैं और उन्हें रंग लगाकर अपने पुराने दुश्मनी को भुला देते हैं। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार होली एक ऐसा मौका है जब देवी देवता अपनी आंखें मूंद लेते हैं और धार्मिक लोग अपने आप को कुछ मुक्त होने का मौका देते हैं। इस दिन सभी लोगों के द्वारा अपने घर में मीठे नमकीन पकवान बनाकर तथा संगीत बजाकर एवं नृत्य के साथ हर्षोल्लाह से इस त्यौहार को मनाया जाता है।

होलिका दहन क्या है ? – जिस दिन रंग खेल कर होली का त्यौहार मनाया जाता है, उसके ठीक एक दिन पूर्व की संध्या के समय सूखी लड़कियों को इकट्ठा करके उसका दहन किया जाता है। यह होलिका दहन कहलाता है। होलिका दहन के साथ ही होली के त्यौहार का शुभारंभ समझा जाता है एवं दूसरे दिन होली खेलकर इस त्यौहार को आनंदपूर्वक मनाया जाता है।

होली के त्यौहार के पीछे धार्मिक मान्यता – होलिका दहन की कहानी एक भारतीय हिंदू लोककथा से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार प्रह्लाद नामक एक बालक विष्णु भगवान की भक्ति में पूर्णतः समर्पित था। परंतु उसके पिता हिरण्यकश्यप जो की राक्षस कुल के थे वह विष्णु को भगवान नहीं मानता था। वह एक क्रूर और घमंडी राजा था। जब से उसे यह बात पता चली कि उसका पुत्र हर समय विष्णु का नाम जपता रहता है, इस बात से क्रुद्ध होकर उसने अपने पुत्र को ही कष्ट देना शुरू कर दिया। उसने अपने पुत्र को समझाने का प्रयास किया कि वह विष्णु का नाम न ले, लेकिन प्रहलाद में कोई परिवर्तन नहीं आया। जब वहां प्रहलाद के मन को नहीं बदल पाया तो उसने प्रहलाद को मार डालने का विचार किया। उसने कई बार अपने पुत्र प्रहलाद को जान समेत मारने का प्रयास किया, किंतु प्रहलाद की ईश्वर भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उसे हर बार किसी तरह बचा लेते थे। एक बार हिरण्यकश्यप की बहन ने हिरण्यकश्यप से कहा कि प्रह्लाद को मारने का काम वह अपने हाथों में ले सकती है। क्योंकि उसे एक वरदान प्राप्त था कि वह अपनी गोदी में किसी को भी लेकर अग्नि में प्रवेश कर सकती है, जिससे उसे स्वयं कुछ नहीं होगा किंतु उसकी गोद में बैठा व्यक्ति अग्नि में जलकर राख हो जाएगा। राजा की बहन का नाम ही था ‘ होलिका ‘ । होलिका ने प्रहलाद को जलाने के लिए अपनी गोद में बैठकर लड़कियों एवं अन्य ज्वलनशील पदार्थों के साथ बैठ गई और उसे अग्नि के हवाले कर दिया गया। कुछ समय पश्चात यह देखा गया कि भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका स्वयं उस अग्नि में जलने लगी और बालक प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और वह सुरक्षित बाहर आ गया।

इसी मान्यता को आधार बनाकर प्रतिवर्ष होलिका दहन करके होली के त्यौहार की शुरुआत की जाती है और होलिका दहन के दूसरे दिन रंगों से होली खेलकर इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है

होली त्यौहार के अलग-अलग नाम (Holi Festival Different Names)

भारत में होली पर्व को भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे ब्रज की होली पूरे देश में आकर्षण का केंद्र होती है। यहां लठमार होली, लड्डू होली और फूलों वाली होली खेली जाती है। तो वहीं हरियाणा में होली के त्योहार को धुलंडी के नाम से जाना जाता है। तो गोवा के शिमगो में इस दिन जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। जबकि पंजाब के होला मोहल्ला में सिख धर्म के लोगों द्वारा शक्ति प्रदर्शन किया जाता है। छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भूत परंपरा है।

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